यादों की बस्ती, सपनों का आँगन, शबनम की बिंदिया, कलियों के कंगन यौवन की रिमझिम, महकी सी रातें, ये तेरे लिये है, सारी सौगातें। फूलों से सँवरी, शाखों की बाँहें, महबूब का गाँव, रँगीन राहें । रिश्तों की मेंहदी, करती है बातें, ख्वाबों का राजा, ले आया बारातें । मौसम की मदिरा, बारिश की हँसी, गजरे की खूशबू, जूडे में फँसी । नटखट से बादल, पागल बरसातें, चाहत के जंगल में लुकछिप मुलाकातें । ढलका सा आँचल, उनींदी निगाहें, साँसों का मधुबन, हम हर रोज़ चाहें । हरियाली सुहागिन की, कैसी करामातें , पत्तों की झांझर पर नाची प्रभातें ।" |
Monday, July 6, 2009
यौवन की रिमझिम
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