कपोलों को छुआ तो कुम्हला गया
हुस्न की बानगी फूल जतला गया
फुलवारी में होने लगी अब चर्चा
एक चेहरा क्या यह बतला गया
अनेकों रंग और खुश्बू का था नाज़
एक सिहरन से कौन नहला गया
हुस्न की बगिया से मिले इमदाद
इसी चाहत में चमन पगला गया
हुस्न की बानगी फूल जतला गया
फुलवारी में होने लगी अब चर्चा
एक चेहरा क्या यह बतला गया
अनेकों रंग और खुश्बू का था नाज़
एक सिहरन से कौन नहला गया
हुस्न की बगिया से मिले इमदाद
इसी चाहत में चमन पगला गया
कपोलों को छुआ तो कुम्हला गया
ReplyDeleteहुस्न की बानगी फूल जतला गया
बहुत मखमली मतला है
इसी चाहत में चमन पगला गया
इस लाइन को पढ़ कर बड़ा अटपटा लगा
वीनस केसरी