Monday, May 18, 2009

एक माचिस की तीली से समुंदर क्या जलाओगे,

एक माचिस की तीली से समुंदर क्या जलाओगे,
यादों को तो भुला दोगे पर लम्हों को कैसे मिटाओगे,

कई तूफानों से गुज़री है मेरी मोहब्बत,
इस मासूम हवा से कैसे प्यार का दिया बुजाओगे,

मेंहदी से लिखा है मेरी हथेली पे खुदा ने नाम् तेरा,
कैसे फिर तक़दीर में किसी और का नाम लिखाओगे,

कर बैठा है भरोसा जमाना तेरी बेवफाई का,
रूह को अपनी इस बात का कैसे यकीन दिलाओगे,

आईने से जूठ बोलने की आदत है तुम्हारी,
अपनी बेबसियों का मगर दिल को क्या दिलासा बताओगे ,

वीरानो में तो खामोश दीवारों से सच बोल भी दोगे,
महफिलों में तनहा दिल को क्या सम्जाओगे,

रोक लोगे मुझको अपने पास आने से माना
खुद को मुझसे दूर जाने के लिए कैसे मनाओगे…

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