skip to main
|
skip to sidebar
Sunidhi
Saturday, August 8, 2009
बूँदें!
बूँदें!
आँखों से टपकें
मिट्टी हो जाएँ।
आग से गुज़रें
आग की नज़र हो जाएँ।
रगों में उतरें तो
लहू हो जाएँ।
या कालचक्र से निकलकर
समय की साँसों पर चलती हुई
मन की सीप में उतरें
और मोती हो जाएँ.....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Blog Archive
▼
2009
(56)
►
December
(2)
►
September
(1)
▼
August
(15)
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया/फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सफ़र में मुश्किलें आये तो जुर्रत और बढती है
सुबह दम जैसे तवायफ का बदन दुखता है/मुनव्वर राना
kaanch ki choorhion
शुक्रिया तेरा ओ जिन्दगी...!!!
दिल भी इक जिद पे अडा है किसी बच्चे की तरह
मगर गरीब कि जान का मुआवजा कम है/ नवाज़ देवबन्दी
तुम कोई नाम न देना.......
बूँदें!
सीता की परीक्षा
कहो ना ये कैसा अजनबीपन है..???
प्यास थी पानी था पिया ही नहीं....
उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते...
चले आओ....!!
बस एक बार आ जाओ...
►
July
(22)
►
May
(15)
►
April
(1)
About Me
simply sunidhi
View my complete profile
No comments:
Post a Comment