हर बार क्यों लक्षमण रेखा खिचती है?
हर बार क्यों अग्नि परीक्षा होती है?
जब राम ही नही है आज यहाँ?
फिर सीता की इच्छा क्यों होती है?
हर बार जब स्त्री की परीक्षा लेनी हो
वो राम का रूप क्यों धरता है?
याद रखे हर वो पुरुष
जो सीता की इच्छा रखता है
जो सीता की इच्छा रखता है
राम भी तुम, लक्षमण भी तुम और रावण भी तुम
तुम ही संरक्षक और भक्षक भी तुम
तुम ही संरक्षक और भक्षक भी तुम
फिर सीता का दोष ही क्यों दिखता है?
जो बच गयी हर परीक्षा से वो सीता थी…
आम नारी नही…
वो भी…
दूजी परीक्षा मे, धरती मे समा गयी…
आज जब तुम, राम ना बन सकते हो
फिर सीता की परीक्षा क्यों लेते हो?
फिर सीता की परीक्षा क्यों लेते हो?
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