Saturday, August 8, 2009

सुबह दम जैसे तवायफ का बदन दुखता है/मुनव्वर राना


झूठ बोला था तो यूँ मेरा दहन दुखता है
सुबह दम जैसे तवायफ का बदन दुखता है

खाली मटके की शिकायत पे हमें भी दुःख है
ऐ ग्वाले, मगर अब गाय का थन दुखता है

उम्र भर सांप से शर्मिंदा रहे ये सुनकर
जब से इंसान को काटा है फन दुखता है

ज़िन्दगी तूने बहुत ज़ख्म दिए है मुझको
अब तुझे याद भी करता हूँ तो मन दुखता है

No comments:

Post a Comment